महर्षि दयानंद सरस्वती के द्वारा सनातन वैदिक धर्म-संस्कृति संबंधी 100 प्रचलित शब्दों की परिभाषा
ये 100 शब्द हैं –
ईश्वर , धर्म , अधर्म , पुण्य , पाप , सत्यभाषण , मिथ्याभाषण , विश्वास , अविश्वास , परलोक , अपरलोक , जन्म ,मरण , स्वर्ग , नरक , विद्या , अविद्या , सत्पुरुष , सत्संग-कुसंग , तीर्थ ,स्तुति , स्तुति का फल , निंदा , प्रार्थना , प्रार्थना का फल ,उपासना , निर्गुनोपासना , सगुणोपासना , मुक्ति , मुक्ति के साधन , कर्ता , कारण , उपादान कारण , निमित्त कारण , साधारण कारण , कार्य , सृष्टि , जाति , मनुष्य , आर्य , आर्यावर्त देश , दस्यु , वर्ण , वर्ण के भेद , आश्रम , आश्रम के भेद , यज्ञ , कर्म , क्रियमाण , संचित , प्रारब्ध , अनादि पदार्थ , प्रवाह से अनादि पदार्थ , अनादि का स्वरुप , पुरुषार्थ , पुरुषार्थ के भेद , परोपकार , शिष्टाचार, सदाचार , विद्यापुस्तक , आचार्य , गुरु , अतिथि , पंचायतनपूजा , पूजा, अपूजा , जड़ , चेतन , भावना , अभावना , पंडित , मूर्ख , ज्येष्ठ-कनिष्ठ व्यवहार , सर्वहित , चोरी त्याग , व्यभिचार त्याग , जीव का स्वरुप , स्वभाव , प्रलय , मायावी , आप्त , परीक्षा , आठ प्रमाण , लक्षण , प्रमेय , प्रत्यक्ष , अनुमान , उपमान , शब्द , ऐतिह्य , अर्थापत्ति , सम्भव , आभाव , शास्त्र , वेद , पुराण , उपवेद , वेदांग , उपांग , नमस्ते |
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